
बस्तर क्षेत्रों का परम्परागत त्यौहार नवाखाई त्यौहार
बस्तर के नवाखाई त्यौहार:- बस्तर का पहला पारम्परिक नवाखाई त्यौहार Nawakhai festival बस्तर Bastar में आदिवासियों के नए फसल का पहला त्यौहार होता है, जिसे
बस्तर के नवाखाई त्यौहार:- बस्तर का पहला पारम्परिक नवाखाई त्यौहार Nawakhai festival बस्तर Bastar में आदिवासियों के नए फसल का पहला त्यौहार होता है, जिसे
डेरी गड़ाई रस्म- बस्तर दशहरा में पाटजात्रा के बाद दुसरी सबसे महत्वपूर्ण रस्म होती है डेरी गड़ाई रस्म। पाठ-जात्रा से प्रारंभ हुई पर्व की दूसरी
डंडारी नृत्य-बस्तर के धुरवा जनजाति के द्वारा किये जाने वाला नृत्य है यह नृत्य त्यौहारों, बस्तर दशहरा एवं दंतेवाड़ा के फागुन मेले के अवसर पर
बस्तर अपनी अनूठी परंपरा के साथ साथ खान-पान के लिए भी जाना जाता है। बस्तर में जब सब्जियों की बात होती है तो पहले जंगलों
हरेली त्यौहार क्या होता है- हरेली तिहार Hareli Tihar किसानों का सबसे बडा महत्वपूर्ण त्योहार है। हरेली शब्द हिंदी शब्द ‘हरियाली’ से उत्पन्न हुआ है
विश्व आदिवासी दिवस 9 अगस्त को क्यों मनाया जाता है वर्ष 1982 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने आदिवासियों के भले के लिए एक कार्यदल गठित
नृत्य आदिम सभ्यता का सबसे खूबसूरत अंग है। इसकी खूबसूरती मधुर संगीत और आकर्षक पोशाक से पल्लवित होती है। नृत्य के मनमोहक पहलुओं को बस्तर
बस्तर हस्तशिल्प एंव शिल्पकला Bastar Hastshilp Shilpkala:- बस्तर अंचल के हस्तशिल्प, चाहे वे आदिवासी हस्तशिल्प हों या लोक हस्तशिल्प, दुनिया-भर के कलाप्रेमियों का ध्यान आकृष्ट
हम सभी मानते हैं कि किसी भी प्रान्त का खान -पान वहां की भौगोलिक स्थिति , जलवायु और वहां होने वाली फसलों पर निर्भर करता
छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के कोंडागांव जिले के अंतर्गत फरसगांव से 30 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम बडे डोंगर की पहाड़ी पर मां दंतेश्वरी विराजमान