बस्तर अपनी अनूठी परंपरा के साथ साथ खान-पान के लिए भी जाना जाता है। बस्तर में जब सब्जियों की बात होती है तो पहले जंगलों की सब्जियों को ज्यादा प्राथमिकता दी जाती है। बस्तर के जंगलों में बहुत से ऐसे पौधे हैं जिन्हे सब्जियों के रूप में उपयोग में लिया जाता है। जब बात सब्जी की हो तो यहां के ग्रामिणजन जंगलो से मिलने वाली सब्जियों को पहले प्राथमिकता देते है।
यहां जंगलो से मिलने वाला एक ऐसे ही पौधा है जिसे खाया जाता है। वह पौधा है बांस। बस्तर में बांस बहुतायत से उगते हैं ,वर्षा ऋतु में बांस का अंकुरण बड़े पैमाने पर होता है। बाँस से अंकुरित होने वाले तना को बास्ता कहते हैं। बांस की कोपलों यहाँ के लोग बड़े ही चाव से सब्जी बनाकर खाते हैं। इन कोपलों को बास्ता या करील कहा जाता है।
यह एक प्रकार का कठोर तना को सब्जी के रूप में अधिक मात्रा में उपयोग किया जाता है जिसे खाने से स्वास्थ्य के लिए लाभदायक गुण है। बास्ता में सायनोजेनिक ग्लुकोसाईठ, टैक्सीफाईलीन एवं बेंजोईक अम्ल पाया जाता है। जो कफ निःसारक, उत्तेजक, तृशाषामक होता है। इसलिये लोग इसका उपयोग खाने में करते है। बांस की कोपलों को यंहा के ग्रामीणजन पतले -पतले चिप्स जैसा काटकर बस्तर के बाजारों में विक्रय करते हैं। जो 10 से 20 रूपये प्रति दोनी विक्रय की जाती हैं।
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कैसा होता है बास्ता
बस्तर में बांस बहुत पाए जाते है, बारिश के मौसम में बांस बड़े पैमाने पर होता है। बास्ता नए अंकुरित होते बांस के डंठल (कोंपल) को पतले -पतले चिप्स जैसा काट कर उससे बनाई जाने वाली सब्जी है। बांस का कोंपल हल्का पीले रंग का होता है और इसकी महक बेहद तेज होती है।
दुनिया भर में पाई जाने वाली बांस की सभी प्रजातियों में से केवल 110 प्रजातियों के बांस के कोंपल ही खाने योग्य होते हैं। इनमें औषधीय गुण भी पाए जाते है, जो बहुत से बिमारियों से बचाते है।
कैसे बनाई जाती है बास्ता की सब्जी
बांस की कोपलों से अंकुरित होने वाले तना को पतले -पतले चिप्स जैसा काटकर रसेदार और सूखी सब्जी जैसा पकाया जाता है, इसे दाल या अन्य सब्जियों में मिलकर भी पकाते हैं।
यह बस्तर के ग्रामिणजनों का प्रिय भोजन है। बस्तर में बांस बहुतायत से उगते हैं। अंकुरित होते बांस की कोपलों को जिन्हे धोकर, साफ करके बाजारों में बिक्री के लिए भी ले जाया जाता है।
कब पाया जाता है बास्ता
बास्ता हर साल जून से अगस्त तक पाया जाता है। बास्ता बांस के झुरमुटो में नयी कोपलों (बास्ता) निकाला आता है। जिसे बास्ता या करील कहा जाता है, जो आदिवासियों के साथ-साथ जन सामान्य वर्ग का भी पारम्परिक आहार माना जाता है। अगर यह जानकारी अच्छी लगी हो तो कमेंट करके जरूर बताऐ और ऐसी ही जानकारी daily पाने के लिए हमारे Facebook Page को like करे इससे आप को हर ताजा अपडेट की जानकारी आप तक पहुँच जायेगी।
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