100 साल पहले गणेशजी की प्रतिमा, राजबेड़ा में पहिए टूटे तो यहीं की स्थापना | Rajbeda Narayanpur Bastar

100-साल-पहले-गणेशजी-की-प्रतिमा-राजबेड़ा-में-पहिए-टूटे-तो-यहीं-की-स्थापना-Rajbeda-Narayanpur-Bastar

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में स्थित एक धार्मिक स्थल है। जो राजबेड़ा के नाम से जाना जाता है। राजबेड़ा में भगवान गणेश एवं मां दुर्गा की एक प्राचीन प्रतिमा स्थित है, इस प्रतिमा में भगवान गणेश मूशक पर बैठे हुए हैं। यह मूर्ति अत्यंत सुंदर, आकर्षक नक्कासीदार और दिव्य दुर्लभ कलाकृति से परिपूर्ण है। जो ग्रामीणों के आस्था का केंद्र है।

यह जिले के दो ग्राम पंचायत छिनारी और बैलापाड़ के पास स्थित है। ग्रामीणों की मान्यता है की यह प्रतिमाएं यहां करीब 100 वर्ष पूर्व प्रगट हुई थी, लोक मान्यता है की इस मूर्ति को कुछ लोग बैलगाड़ी में ले जा रहे थे तभी रास्ते में ही बैलगाड़ी के पहिए टूट गए और वे मूर्ति ले जाने में नाकाम रहे। इसके बाद सभी ने उस मूर्ति को उसी जगह पर लाकर रख दिया.. जिसके बाद ग्रामीणों के द्वारा सालों से इस प्रतिमा की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ किया जा रहा हैं।

ऐसे पहुंच सकतें हैं राजबेड़ा मंदिर

जिला मुख्यालय नारायणपुर से लगभग 40 कि.मी. की दूरी पर स्थित इस मंदिर तक पहुंचने के लिए लोगों को जिला मुख्यालय से बेनूर आना पड़ेगा। इसके बाद यहां से 07 कि.मी. दूर दंडवन जाना पड़ेगा.. इसके बाद मंदिर तक पहुंचने के लिए 2 गांव छिनारी व बैलापाड़ से होकर गुजरना पड़ेगा.. इसके बाद राजबेड़ा गांव जहां पर यह मंदिर बना हुआ है। इस गांव की आबादी लगभग 150 है।

कोंडागांव से यह मंदिर लगभग 60 कि.मी. से ज्यादा है। अगर आपको कोंडागांव से जाना है जो पहले भाटपाल तक जाना पड़ेगा। यहां से बयानार और ग्राम पंचायत नरिया और उसके बाद राजबेड़ा गांव है जहां पर यह मंदिर है। अगर यह जानकारी अच्छी लगी हो तो कमेंट करके जरूर बताऐ और ऐसी ही जानकारी daily पाने के लिए हमारे Facebook Page को like करे इससे आप को हर ताजा अपडेट की जानकारी आप तक पहुँच जायेगी।

!! धन्यवाद !!

 

इन्हे भी एक बार जरूर पढ़े :-

Share:

Facebook
Twitter
WhatsApp

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

On Key

Related Posts

बस्तर-क्षेत्रों-का-परम्परागत-त्यौहार-नवाखाई-त्यौहार

बस्तर क्षेत्रों का परम्परागत त्यौहार नवाखाई त्यौहार

बस्तर के नवाखाई त्यौहार:- बस्तर का पहला पारम्परिक नवाखाई त्यौहार Nawakhai festival बस्तर Bastar में आदिवासियों के नए फसल का पहला त्यौहार होता है, जिसे

बेहद-अनोखा-है-बस्तर-दशहरा-की-डेरी-गड़ई-रस्म

बेहद अनोखा है? बस्तर दशहरा की ‘डेरी गड़ई’ रस्म

डेरी गड़ाई रस्म- बस्तर दशहरा में पाटजात्रा के बाद दुसरी सबसे महत्वपूर्ण रस्म होती है डेरी गड़ाई रस्म। पाठ-जात्रा से प्रारंभ हुई पर्व की दूसरी

बस्तर-का-प्रसिद्ध-लोकनृत्य-'डंडारी-नृत्य'-क्या-है-जानिए

बस्तर का प्रसिद्ध लोकनृत्य ‘डंडारी नृत्य’ क्या है? जानिए……!

डंडारी नृत्य-बस्तर के धुरवा जनजाति के द्वारा किये जाने वाला नृत्य है यह नृत्य त्यौहारों, बस्तर दशहरा एवं दंतेवाड़ा के फागुन मेले के अवसर पर

जानिए-बास्ता-को-बस्तर-की-प्रसिद्ध-सब्जी-क्यों-कहा-जाता-है

जानिए, बास्ता को बस्तर की प्रसिद्ध सब्जी क्यों कहा जाता है?

बस्तर अपनी अनूठी परंपरा के साथ साथ खान-पान के लिए भी जाना जाता है। बस्तर में जब सब्जियों की बात होती है तो पहले जंगलों

Scroll to Top
%d bloggers like this: