आज हम बस्तर की जीवनरेखा कही जाने वाली इंद्रावती नदी के बारे में इस आर्टिकल के माध्यम से जानेगें। इंद्रावती नदी बस्तर के लोगों के लिए आस्था और भक्ति का प्रतीक है। इस नदी के मुहाने पर बसा है छत्तीसगढ़ का शहर जगदलपुर। यह एक प्रमुख सांस्कृतिक एवं हस्तशिल्प केन्द्र है। यहीं पर मानव विज्ञान संग्रहालय भी स्थित है, जहां बस्तर के आदिवासियों की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक एवं मनोरंजन से संबंधित वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं।
इन्द्रावती नदी
इंद्रावती नदी भारत के मध्य-पूर्व क्षेत्र में स्थित छत्तीसगढ़ राज्य के दक्षिण में स्थित बस्तर संभाग के मध्य में प्रवाहित इंद्रावती, इस क्षेत्र की एक प्रमुख नदी है। जो अपने प्रवाह से मानव समुदायों व वन तथा जीव-जंतुओं को जल संपदा से परिपूर्ण कर जीवन संचरण में सहायक प्रदान कर रही है। बस्तर तथा उड़ीसा राज्यों में इसे ‘जीवनदायनी’ या ‘जीवनरेखा’ या ‘लाइफलाइन’ की संज्ञा दी गई है।
इंद्रावती नदी का प्रवाह पूर्व से पश्चिम की ओर है. इंद्रावती नदी अपने उद्गम के बाद उड़ीसा से छत्तीसगढ़ राज्य में प्रवेश करती है. तथा छत्तीसगढ़ राज्य के अंतिम पश्चिमी छोर से यह दक्षिण की ओर प्रवाहित होती हुई छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र-तेलंगाना राज्य की सीमा पर बीजापुर जिले के भद्रकाली नामक ग्राम के समीप गोदावरी नदी में मिलती है। इंद्रावती नदी, अपनी लंबाई का लगभग एक तिहाई भाग उड़ीसा राज्य में तथा लगभग दो तिहाई भाग बस्तर में प्रवाहित होती है।
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इंद्रावती नदी की कुछ आवश्यक जानकारी:-
- इंद्रावती नदी की लोक कथा
- इंद्रावती का प्राचीन नाम क्या है?
- इंद्रावती नदी किस राज्य में है?
- इंद्रावती नदी का उद्गम स्थल कहां है?
- इंद्रावती नदी कहां से निकलता है?
- इंद्रावती नदी की सहायक नदी है?
- जलप्रपात
इंद्रावती नदी की लोक कथा
इंद्रावती नदी की लोक कथा सबसे अलग है लोक मान्यता है की इंद्रावती नदी के किनारे प्रागैतिहासिक काल के अवशेष भी प्राप्त होते हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि इंद्रावती नदी क्षेत्र प्राचीन मानव का आश्रयस्थल रहा है। इंद्रावती नदी का उल्लेख अनेक प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में पाया जाता है। इसे रामायण में वर्णित तीन मंदाकिनी नदियों में से एक कहा गया है।
बस्तर संभाग के अनेक स्थलों पर इंद्रावती नदी के किनारे प्रागैतिहासिक कालीन पाषाण उपकरण प्राप्त होते हैं। इनमें जगदलपुर के समीप स्थित कालीपुर, माटेवाड़ा, घाटलोहंगा, देउरगांव, करंजी, चित्रकोट आदि क्षेत्र से पूर्व पाषाणकाल, पाषाणकाल तथा उत्तर पाषाणकालीन उपकरण प्राप्त होते हैं।
बस्तर के अभिलेखों (धारण महादेवी का कुरूसपाल अभिलेख,) में इसे इंद्र नदी कहा गया है। एक हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार इंद्रावती नदी का उद्गम स्वर्ग के राजा इंद्र, उनकी पत्नी इंद्राणी के पृथ्वी पर भ्रमण तथा प्रेयसी उदंती से संबंधित बताया गया है।
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इंद्रावती का प्राचीन नाम क्या है?
इंद्रावती नदी का प्राचीन नाम मंदाकिनी है। इसे रामायण में वर्णित तीन मंदाकिनी नदियों में से एक कहा गया है। यह मध्य भारत की एक बड़ी नदी और गोदावरी की सहायक नदी है। इसका उदगम स्थान उड़ीसा राज्य में ईस्टर्न घाट के दंडकारण्य रेंज में कालाहांडी ज़िला अंतर्गत धरमगढ़ तहसील के रामपुर थूयामूल के निकट डोंगरला पहाड़ी पर 3000 फीट की ऊँचाई पर हुआ है।
नदी की कुल लम्बाई 240 मील यानि 390 कि0मी0 है। अपने उद्गम से गोदावरी संगम तक इंद्रावती नदी 535 कि0मी0 लंबा सफ़र तय करती है, जिसमें से उड़ीसा राज्य के कालाहांडी, नवरंगपुर तथा कोरापुट ज़िले में 164 कि0मी0, छत्तीसगढ़ व उड़ीसा राज्य सीमा पर 9.5 कि0मी0 तथा छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर, दाँतेवाड़ा, बीजापुर जिले में 233 कि0मी0 एवं छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र राज्य सीमा पर 129 कि0मी0 प्रवाहित होकर गोदावरी नदी में मिलती है। पथरीले तल होने के कारण इसमे नौकायन संभव नहीं है।
इंद्रावती नदी किस राज्य में है?
इंद्रावती नदी मध्य भारत की एक बड़ी नदी है इस नदी का उदगम स्थान उड़ीसा के कालाहन्डी जिले के रामपुर थूयामूल में है। यह नदी प्रमुख रूप से छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर दन्तेवाडा जिले में प्रवाहित होती है। दन्तेवाडा जिले के भद्रकाली में इंद्रावती नदी और गोदावरी नदी का सगंम होता है।
इंद्रावती नदी का उद्गम स्थल कहां है?
इंद्रावती नदी का उद्गम उड़ीसा राज्य में ईस्टर्न घाट के दंडकारण्य रेंज में कालाहांडी ज़िला अंतर्गत धरमगढ़ तहसील के रामपुर थूयामूल के निकट डोंगरला पहाड़ी पर 3000 फीट की ऊँचाई पर हुआ है। अपने उद्गम से गोदावरी संगम तक इंद्रावती नदी 535 कि0मी0 लंबा सफ़र तय करती है, जिसमें से उड़ीसा राज्य के कालाहांडी, नवरंगपुर तथा कोरापुट ज़िले में 164 कि0मी0, छत्तीसगढ़ व उड़ीसा राज्य सीमा पर 9.5 कि0मी0 तथा छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर, दाँतेवाड़ा, बीजापुर जिले में 233 कि0मी0 एवं छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र राज्य सीमा पर 129 कि0मी0 प्रवाहित होकर गोदावरी नदी में मिलती है।
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इंद्रावती नदी कहां से निकलता है?
इंद्रावती नदी उड़ीसा राज्य में ईस्टर्न घाट के दंडकारण्य रेंज में कालाहांडी ज़िला अंतर्गत धरमगढ़ तहसील के रामपुर थूयामूल के निकट डोंगरला पहाड़ी पर 3000 फीट की ऊँचाई पर से अपनी रास्त तय कर आगे बड़ती है। यह नदी प्रमुख रूप से छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर दन्तेवाडा जिले में प्रवाहित होती है। दन्तेवाडा जिले के भद्रकाली में इंद्रावती नदी और गोदावरी नदी का सगंम होता है।
इंद्रावती नदी की सहायक नदी है?
इंद्रावती नदी मध्य भारत की एक बड़ी नदी है और गोदावरी नदी की सबसे मुख्य सहायक नदी है। इस नदी की 30 से अधिक सहायिका नदियाँ व नाले हैं। इंद्रावती नदी की उत्तरी सहयोगी नदियों में भवरडीग, नारंगी, निबरा, कोटरी, गुडरा, गोइंदर, भसकेली प्रमुख हैं तथा दक्षिणी सहयोगी नदियों में चिंतावागु, शंखिनी, डंकिनी, नंदीराज, चिंतावागु आदि नदियाँ प्रमुख हैं।
इंद्रावती नदी जलप्रपात
इंद्रावती नदी, बस्तर जिला मुख्यालय से पश्चिम दिशा में 40 किमी दूरी पर चित्रकोट नामक स्थल पर एक विशाल जलप्रपात का निर्माण करती है। यहाँ इंद्रावती नदी 96 फीट ऊँचे, विशाल जलप्रपात के रूप में गिरती है। चित्रकोट जलप्रपात का आकार घोड़े की नाल के समान है। इसका स्वरूप कनाडा के विशाल नियाग्रा जलप्रपात के सदृश होने के कारण इसे ‘भारत का नियाग्रा’ कहा जाता है। यह छत्तीसगढ़ राज्य का सबसे बड़ा, सबसे चौड़ा तथा सर्वाधिक जल प्रवाहित करने वाला जलप्रपात है।
चित्रकोट जलप्रपात वर्षाकाल में मटमैला तथा विशाल जलराशि युक्त, शीत व ग्रीष्मकाल में स्वच्छ जलयुक्त शांत व शीतल होता है। सूर्य के प्रकाश तथा प्रपात में गिरने से उत्पन्न जलबिंदूओं के परावर्तन से बनने वाला इंद्रधनुष चित्रकोट जलप्रपात के प्रेक्षकों का मनमोह लेता है। अगर यह जानकारी अच्छी लगी हो तो कमेंट करके जरूर बताऐ और ऐसी ही जानकारी daily पाने के लिए हमारे Facebook Page को like करे इससे आप को हर ताजा अपडेट की जानकारी आप तक पहुँच जायेगी।
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