मामा-भांचा मंदिर Mama Bhanja Temple Barsur आज हम बस्तर की खुबसूरत वादियों में स्थापित मामा-भांचा मंदिर के बारे में जानेगें यह मंदिर जगदलपुर दन्तेवाड़ा मार्ग में गीदम से 23 किमी. दूर पर स्थित बारसूर में है मामा-भांचा मंदिर दो गर्भगृह युक्त मंदिर है इनके मंडप आपस में जुड़े हुये हैं बारसूर के इतिहास की खेल कहानियों को संजोए हुए “मामा भांजा” का यह मंदिर वीर भांजे के सहास की दास्तां बयां करता है।
इस मंदिर की अनोखी बात यह है की मामा -भांजा मंदिर शिव को समर्पित है लेकिन नाम इसका ‘मामा-भांजा’ मंदिर है। मंदिर के बारे में कहते हैं, मामा और भांजा दो मूर्तिकार थे।
यह मंदिर वर्तमान में भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है। मामा भांजा मंदिर काफी ऊँचा मंदिर है, और इसमें ऊपर दो तरफ मामा और भांजा के पत्थर की मूर्तियां बनायीं गयी हैं।
एक अन्य जनश्रुति के अनुसार, बारसूर में गंगवंशीय राजा का साम्राज्य था. राजा का भान्जा कला प्रेमी था। इसने अपने मामा, राजा को बिना बताए उत्कल देश से एक शिल्पकार, को बुलाकर एक भव्य मंदिर बनवाने लगा।
राजा को जब इसकी जानकारी मिली तो उसे बड़ी ईर्ष्या हुई उसने अपने भांजे को बुलवाकर प्रताडि़त किया। भांजा ने आवेश में आकर अपने मामा की हत्या कर दी। बाद में उसे काफी पछतावा हुआ। पश्चाताप के लिए उसने एक इस मंदिर में उसी की मूर्ति उसके सिर के आकार का बनवाकर स्थापित किया।
अत: मामा की स्मृति में इस मंदिर का निर्माण करवाया। इसके बाद भांजे की मृत्यु के बाद मंदिर में भी उसकी स्मृति में मूर्ति स्थापित की गयी। इस प्रकार इस दोनों मूर्ति के कारण इसे मामा-भांजा मंदिर कहा जाता है।
कुछ विद्धान इसे प्राचीन शिवमंदिर होने की बात कहते हैं। मामा भांजा मंदिर के आस पास और भी मंदिर है जैसे गणेश मंदिर Ganesh Temple Barsur, चन्द्रादित्य मंदिर Chandraditya Temple Barsur व बत्तीसा मंदिर Battisa Temple Barsur।
यह भी पढें – बारसूर: विश्व की तीसरी सबसे बड़ी पत्थर से निर्मित, युगल गणेश जी की प्रतिमाएं
कैसे पहुंचें
जगदलपुर से 75 कि0मी0 दूर दंतेवाड़ा जाने के मार्ग पर स्थित गीदम से बारसुर 24 कि0मी0 दूर पर स्थित है। यहां से आपको बस या टैक्सी के द्वारा इस मंदिर में पहुंच सकते है।
इस जगह पर आपको एक बार जरूर जाना चाहिए अगर यह जानकारी अच्छी लगी हो तो कमेंट करके जरूर बताऐ और ऐसी ही जानकारी daily पाने के लिए हमारे Facebook Page को like करे इससे आप को हर ताजा अपडेट की जानकारी आप तक पहुँच जायेगी।
!! धन्यवाद !!
इन्हे भी एक बार जरूर पढ़े :-
- बारसूर को प्राचीन मंदिर एंव तालाबों की नगरी क्यों कहा जाता है?
- बस्तर गोंचा पर्व, छ: सौ साल से मनाये जाने वाला महापर्व
- विश्व का ऐतिहासिक पर्व बस्तर दशहरा
- बस्तर का आराध्य है आंगा देव जानिए क्या है मान्यता
- सावन के महीने में होती है? नाग सर्प के जोड़े की मौजूदगी, शिव मंदिर कोपाबेड़ा