शिव मंदिर कोपाबेड़ा Shiv Mandir Kopabeda – मां नारंगी नदी के तट पर बसा कोण्डागांव खूबसूरत शहर अपने आप में कई कहानियों का संगम है, यहां की भाषा बोली संस्कृति अपने आप अपनी अलग पहचान बनाये हुये है.. आज हम बात करेंगे कोण्डागांव और उसके धरोंहरों की जो नांरगी नदी के तट पर स्थित कोपाबेड़ा का मंदिर के बारें में :-
यह मंदिर कोण्डागांव से लगभग 4.5 कि.मी. की दूरी पर नांरगी नदी के तट पर स्थित है, यह शिव मंदिर नांरगी नदी के तट पर स्थित होने के साथ-साथ सामान्य तौर पर अब पूरे क्षेत्र में शाक्य व शैव है…… शैव से संबंधित जितने भी इस अंचल में मंदिर है….उन मंदिरों में स्थापित शिव लिंगों के संदर्भ मे रोचक तथ्य देखने को मिलता है।
कोपाबेड़ा का मंदिर कहा जाता है… कि भक्त लोगों को सपने में इस शिव लिंग के दर्शन हुए…जिसके आधार पर उन्होंनें पास के जंगल में इसे स्थापित किया। यह घटना लगभग 1950-51 र्इ. के आस-पास की है। यहां प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि को मेला लगता है। यहां पहुंचने के लिए साल के वृक्षों के मध्य से होकर गुजरना पड़ता है…प्राचीन दण्डाकारण्य का यह क्षेत्र रामयणकालीन में बाणासुर का इलाका माना जाता है।
पूजा करने की परंपरा यह के गांव के देवस्थल जो कि, नदी के किनारे राजाराव के नाम से जाना जाता है… उनकी पूजा सबसे पहले की जाती है. और कहा जाता है कि, इस शिवलिंग के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है… कि जब यह प्राप्त हुआ था, तब यह काफी छोटा था…. लेकिन वर्तमान में इसका आकार काफी बड़ा हो गया है।
इस मंदिर के शिव लिंग में सावन के महीने में नाग सर्प के जोड़े की यहां मौजूदगी भी आश्चर्य कर देने वाली घटना है ऐसी मान्यता है। अगर यह जानकारी अच्छी लगी हो तो कमेंट करके जरूर बताऐ और ऐसी ही जानकारी daily पाने के लिए हमारे Facebook Page को like करे इससे आप को हर ताजा अपडेट की जानकारी आप तक पहुँच जायेगी।
!! धन्यवाद !!
इन्हे भी एक बार जरूर पढ़े :-
- यहां होती है भगवान शिव की स्त्री के रूप में पूजा
- अमरावती कोण्डागॉव शिव मंदिर
- राजवंशो के द्वारा निर्मित गुमड़पाल शिव मंदिर बस्तर
- गुमरगुंडा शिव मंदिर में दी जाती है बच्चों को वैदिक शिक्षा
- 11 वीं. शताब्दी की समलूर शिव मंदिर
- तुलार गुफा में होती है, भगवान शिव की विशेष पूजा