बस्तर में गॉव की बाड़ियों में प्रायः कई तरह के कंद पाए जाते हैं कुछ कंद तो ऐसे होते है, जिन्हे उगाया जाता है और कुछ कंद जिन्हे एक बार उगाने से बारिस के दिनों में स्वत: ही उगता हैं. इन्हीं में से एक कंद ऐसा है जंहा से दो प्रकार के स्वाद आते है।
जिसे बस्तर में पीता कांदा और छत्तीसगढ़ में डांग कांदा व करु कांदा के नाम से जाना जाता है। डांग कांदा को बस्तर में अक्सर घर की बाड़ी में उगाया जाता है डांग कांदा बेलयुक्त पौधा है। जो जिमीकंद प्रजाति का कंद माना जाता है। डांग कांदा बस्तर में बड़ी मात्रा में पाया जाता है।
यह पौधा लगभग सात से आठ मीटर तक ऊँचा होता है. इसकी बेल पर ही काँदे लटके हुए होते हैं. इसका फल गोलाकार की तरह होता है, इसे गांव में रहने वाले लोग इस कांदा को घरों में उबालकर सभी बड़े मजे से स्वाद का आनंद लेते हैं जो हल्का स्वाद में कड़वा होता है।
इस लिए इसे बस्तर में पीता कांदा कहा जाता है, इस कंद को दीपावली में गोवर्धन पूजा के दिन खिचड़ी में भी मिलाया जाता है इस कंद को बस्तर में ग्रामिणों द्वारा हाट-बजारों में बेचा जाता है। क्या आपने भी कभी खाया करु/पीता कांदा? कमेंट करके जरूर बातए। ऐसी ही जानकारी daily पाने के लिए हमारे Facebook Page को like करे इससे आप को हर ताजा अपडेट की जानकारी आप तक पहुँच जायेगी।
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