बैंगन की खेती कैसे करें Baigan ki kheti kaise kare – बैंगन देश का दूसरी सबसे अधिक खपत वाली सब्जी फसल है, इस सब्जी को हर तरह के लोग खाने में पसंद करते है… बैंगन की सब्जी भारतीय जनसमुदाय में बहुत प्रसिद्ध है। बैंगन का प्रयोग सब्जी, भुर्ता, कलौंजी तथा व्यंजन आदि बनाने के लिये किया जाता है। उत्तर भारत के इलाकों में बैंगन का चोखा बहुत ज्यदा प्रसिद्ध है… बैंगन की उत्पत्ति, भारत में हुई है।
भारत मे छोटे बैंगन की प्रजाति का प्रयोग संभार बनाने में भी किया जाता है। बैंगन विटामिन और खनिजों का अच्छा स्त्रोत है। इसकी खेती पुरे साल की जा सकती है। बैंगन की फसल बाकी फसलों से ज्यादा सख्त होती है। इसके सख्त होने के कारण इसे शुष्क और कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता हैं। देश में बैगन की मांग बारह महीने रहती है… स्थानीय मांग के अनुसार विभिन्न क्षेत्रों व प्रान्तों में बैंगन की अलग–अलग किस्में प्रयोग में लाई जाती है।
बैंगन की खेती कौन से महीने में करें :-
बैंगन की खेती के लिए सबसे अच्छा समय की बात की जाये तो जून एंव जुलाई है। इसकी बुआई 1 से डेढ़ माह में लगभग जून या जुलाई में कर सकते है जो की पूरी तरह से अनुकूल समय है… इसके अलावा हम यही कार्य नवम्बर और फरवरी में भी कर, इसे 1 से से डेढ़ माह बाद बुवाई कर सकते है।
बैंगन की खेती के लिए मिट्टी का चयन व तैयारी :-
बैंगन की खेती के लिए अच्छी मिट्टी का चुनाव करना बहुत जरूरी होता है, बैंगन की खेती अच्छे जल निकास युक्त सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती है। पर अच्छी उपज के लिये गहरी दोमट मिट्टी, जिसमें जीवांश की पर्याप्त मात्रा हो सिंचाई, और जल निकास के उचित, प्रबंधन हो सबसे अच्छी समझी जाती है…… चिकनी मिट्टी,में फल देर से मिलते है, परन्तु वानस्पतिक वृद्धी अधिक हो जाती है व पैदावार मध्यम होती है… इसलिये दोमट भूमि का चुनाव बहुत जरूरी होता है।
बैंगन उगाते समय मिट्टी, में बहुत कम ही, अवरोधी कारक होती है….लेकिन इसके पौधे सही वायु, और जल, निकासी की व्यवस्था वाली रेतीली मिट्टियों, में अच्छी तरह पनपते हैं… और अपनी गहरी जड़़ों के कारण यह टमाटर के पौधे की तुलना में सूखे को ज्यादा सहन कर सकता है। और वहीं दूसरी तरफ बैंगन को बिल्कुल गीली मिट्टी पसंद नहीं है।
बैंगन के लिए सबसे अच्छा पीएच स्तर 6 से 7 की बीच होना बहुत जरूरी होता है तथा इसमें सिंचाई का उचित प्रबंध होना आवश्यक है। भूमि की तैयारी के लिए पहली जुताई डिस्क है रो से तथा 3-4 जुताईयाँ कल्टीवेटर से करके पाटा लगा देते हैं, खेत की तैयारी के समय पुरानी फसल के अवशेषों को इकट्ठा करे जला दें…जिससे कीटों एवं बीमारियों का प्रकोप कम हो।
बैंगन पौधे के लिए अच्छे बीज का चयन :-
बैंगन की खेती करना है तो आम बात है कि अच्छे बीज का चयन किया ही जाना है अच्छे बैंगन उगाने के लिये आपके पास अच्छी क्वालिटी का बीज होना काफी जरूरी है…इसके अंकुरण प्रतिशत पर निर्भर करती है। एक हैक्टेयर में फसल रोपण के लिए 250 से 300 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। ध्यान रखें यह बीज सिर्फ एक सीजन के लिये सही होता है तो बीज को ज्यादा मात्रा में ना खरीदें अपनी जरूरत के अनुसार ही बीज लें।
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बैंगन की पौधे कैसे तैयार करें :-
बैंगन की पौधे शरदकालीन फसल के लिए जुलाई एंव अगस्त ग्रीष्मकालीन फसल के लिए जनवरी एंव फरवरी में एवं वर्षाकालीन फसल के लिए अप्रैल में बीजों की बुआई की जानी चाहिए.. एक हेक्टेयर खेत में बैगन की रोपाई, के लिए समान्य किस्मों का 200-300 ग्राम एवं संकर किस्मों का 200-250 ग्राम बीज पर्याप्त होता है।
बैंगन पौधे की रोपाई कैसे करें :-
बैंगन की बोवाई के 1 से 1.5 महीनो के दौरान, ही इसके पौधो की रोपाई का काम शुरू कर देना चाहिए… एवं जब भी ये रोपाई, का काम शुरू करना होता है…. उससे कुछ घंटो पहले ही क्यारियों को अच्छी तरह पानी से भर देना है… जिससे की पौधो को निकालने का कार्य आसान हो जाये, इसके साथ ही हमे इस बात का भी ध्यान रखना है की जहा तक संभव हो सके ये कार्य हम शाम के समय ही करे और अच्छी पैदावार के लिए दो पौधों और दो कतार के बीच रखना अच्छे परिणाम देता है।
बैंगन का पौधा लगाना और पौधों के बीच दूरी
- बैंगन का उत्पादन, करने वाले कई देशों में बसंत का दूसरा भाग सबसे उपयुक्त समय माना जाता है…. उस समय ज्यादातर तापमान 21 °C (70 °F) के करीब पहुंच जाता है…और पाला पड़ने का खतरा बहुत कम होता है।
- आमतौर पर जुलाई में रोपाई की जाती है…..और फसल की कटाई नवंबर के बाद शुरू होती है, सामान्य तौर पर किसान 3 से 5 सप्ताह की आयु वाले पौधे पसंद करते हैं। उस समय उनमें तीन से चार पत्तियां आ जाती हैं। इस तकनीक की वजह से रोपाई से कटाई का समय कम हो जाता है।
- रोपाई से एक महीने पहले शुरू किये गए… तैयारी के सभी चरणों के बाद, जुताई, सामान्य उर्वरीकरण, सिंचाई प्रणाली की स्थापना, और प्लास्टिक से ढंकना, रोपाई, शुरू कर सकते हैं…. किसान पॉलीथिन की सतह पर उन जगहों को चिन्हित कर देते हैं…. जहाँ वो छोटे पौधे लगाएंगे, इसके बाद वो प्लास्टिक पर छेद करके पौधे लगाते हैं….. पौधों को उतनी ही गहराई, में लगाना जरूरी है। जितनी गहराई में उन्हें नर्सरी, में लगाया जाता है।
- उत्पादक बैंगन के पौधे एकल या दोहरी पंक्तियों में लगा सकते हैं। एकल पंक्तियों में रोपाई का सामान्य पौधों के बीच 0.4 मीटर से 0.8 मीटर की दूरी व दोहरी पंक्तियों के बीच 1.2 मीटर से 1.5 मीटर की दूरी रखी जाती है दूरी और पौधों की संख्या, बैंगन के किस्म, पर्यावरण की स्थिति और निश्चित रूप से उत्पादक के उपज के लक्ष्यों पर निर्भर करती है।
बैंगन की खेती में खाद और उर्वरक :-
बैंगन की खेती के लिए खाद एंव उर्वरक, की मात्रा का निर्धारण मिट्टी की जांच के आधार पर किया जाना चाहिए एवं सबसे पहले खेत को तैयार, करते समय ही 25 से 30 टन गोबर की सड़ी हुई खाद को अच्छी तरह से मिट्टी में मिला कर तैयार कर लेते है
इसके अलावा 370 कि0 ग्रा0 सुपर फ़ॉस्फ़ेट, 200 किलो ग्राम यूरिया, और करीब 100 कि0 ग्रा0 पोटेशियम सल्फ़ेट का इस्तेमाल करना चाहिए। जिसमे हमे सुपरफ़ॉस्फ़ेट तथा पौटेशियम सल्फ़ेट को मिलाकर खेत में आखिरी बार तैयारी करते समय डालना होता है…वही यूरिया की मात्रा करीब एक तिहाई इस्तेमाल किया जाता है।
इसमें बची हुई यूरिया की मात्रा को दो बराबर, हिस्सों में बाट कर जंहा पहली खुराक को पौधे की रोपाई के तीन सप्ताह बाद और बची हुईं दूसरी को पहली मात्रा देने के करीब चार सप्ताह बाद देना होता है।
बैंगन में कीड़े की दवा :-
बैंगन में लगने वाले विभिन्न तरह के किट रोग ना केवल पैदावार कम कर देते है बल्कि ये लगने वाले फलो की गुणवत्ता को भी गिरा देते है, पर समय रहते हुए इन सभी कीटो की रोकथाम करना भी बहुत जरूरी होता है।
हरा तेला इस रोग, में किट पौधे का रस चूस कर सुखा देता है….और इसके साथ ही पत्तियाँ का रंग पिला, पड़ जाता है, सफेद मक्खी, हड्डा भुंडी, लाल अष्ट पदी मकड़ी, तना व फल छेदक सुंडी जैसे कई अन्य रोग होता है, जो की धीरे धीरे फसलो को नुकसान पंहुचा कर खराब कर देते है।
जिनकी रोगथाम के लिए मैलाथियान और ई.सी. का छिड़काव कर रोकथाम किया जाता है, मैलाथियान करीब 400 मि.ली. और 50 ई.सी. को 150 से 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़, में करीब 15-15 दिन के अंतर पर छिड़काव करना चाहिए।
निश्चय ही खेती बाड़ी में आधुनिक तकनीक, और अच्छे बीजो का चुनाव कर, कम लागत में बैंगन की खेती… को भी अन्य फसलो, की तरह ही मुनाफे की खेती के रूप में परिणाम पा सकते है।
बैंगन की खेती में सिंचाई :-
बैंगन की खेती में अधिक पैदावार, लाने के लिए सही समय पर पानी देना बहुत जरूरी होता है… गर्मी के मौसम में हर 2-3 दिन व सर्दियों में 10 से 15 के अंतराल में पानी देना चाहिए। कोहरे वाले दिनों में फसल को बचाने के लिए मिट्टी में नमी बनाए रखना चाहिए और लगातार पानी देते रहना चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखें, कि बैंगन की फसल में पानी खड़ा न हो पाये, क्योंकि बैंगन की फसल खड़े पानी, को सहन नहीं कर सकती है।
बैंगन की फसल की तुड़ाई :-
खेतों में बैंगन की पैदावार होने पर फलों की तुड़ाई, पकने से पहले करनी चाहिए….. तुड़ाई के समय रंग और आकार का बिल्कुलध्यान रखना चाहिए…. बैंगन का मंडी में अच्छा दाम मिले इसके लिए फल का चिकना, और आकर्षक रंग का होना चाहिए। अगर यह जानकारी अच्छी लगी हो तो कमेंट करके जरूर बताऐ और ऐसी ही जानकारी daily पाने के लिए हमारे Facebook Page को like करे इससे आप को हर ताजा अपडेट की जानकारी आप तक पहुँच जायेगी।
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