जानिए बस्तर में इतनी खास क्यों मानी जाती है, कोचई कांदा अरबी……!

जानिए-बस्तर-में-इतनी-खास-क्यों-मानी-जाती-है-कोचई-कांदा-अरबी

कोचई कांदाबस्तर में कोचई कांदा अधिक उगाया जाता है अगरआप बस्तर से है तो आपको जरूर पता होगा अगर नहीं पता तो चालिए इसके बारें में विस्तार से जानते है कोचई कांदा प्राकृतिक तौर पर जमीन के नीचे उगाया जाता है। यह एक कन्द के रूप में प्राप्त होता है। कोचई का उपयोग ज़्यादातर सब्जी के रूप में किया जाता हैं, लोकप्रिय सब्जी होने के साथ-साथ बेहद गुणकारी भी माना जाता है।

इसे खाने से शरीर को बहुत से फायदे होते है, बस्तर में इसकी सब्ज़ी आदिवासियों को बहुत पसंद है। इसे हिंदी में घुइयां, अरबी, अरुई व छत्तीसगढ़ी में कोचई के नाम से जाना जाता है। कोचई कांदा बस्तर में ज्यादातर स्थानीय हाट बाजारों में बेचा जाता है।

कोचई तीन प्रकार के होते है :-

  • देशी कोचई
  • सारू कोचई
  • गर्मी कोचई

देशी कोचई :- देशी कोचई बरसात में जून एंव जुलाई माह में लगाया जाता है। और इसे खेत के मेड़ में या मान्दा बनाकर या कियारी बनाकर लगाते हैं।

सारू कोचई :- यह देशी कोचई से थोड़ा बड़ा आकार का होता है, इसके लिए कियारी या मान्दा की जरूरत नहीं पड़ती, जहां गोबर कचड़ा होता हैं, और पानी होता है ऐसे जगह में इसकी उपज अच्छी होती है।

गर्मी कोचई :- गर्मी कोचई की उपज नदी के ढलान क्षेत्र में, और नदी की रेत में अच्छी होती है इसकी फसल तीन से चार माह में निकल जाती है।

यह भी पढें – चापड़ा चटनी अगर आप भी है बिमारियों से परेशान तो मिनटों में

कोचई लगाने की प्रक्रिया :-

कोचई ज्यादातर घर पर बाड़ी या खेत के मेड़ मे लगाया जाता है बाड़ी में जिस जगह पर लगाने का होता है उस जगह पर गोबर खाद या घर से निकलने वाली अपशिष्ट पदार्थों से खाद बनाकर डाला हुआ होता है, उस जगह की मिट्टी अधिक उपजाऊ हो जाती हैं जहां हल (नांगर) से जोताई कर कोचई लगाया जाता हैं। कोचई सभी प्रकार की मिट्टी में नहीं होती है, इसे काली मिट्टी मे ही उगाया जाता है।

कोचई को लगाने से पहले निकाल के रख देते हैं और उसमें छोटी-छोटी जड़ी निकलने लगती है। फिर उसको बाड़ी में मान्दा बनाकर लगा देते हैं, मान्दा बनाने के लिए फावड़े से मिट्टी को चारों ओर से खीचते हैं और इकठ्ठा करते हैं। फिर एक मान्दा में लगभग तीन से चार जगह कोचई को लगाते हैं।

कोचई लगाने के बाद उसको मिट्टी से ढक देते हैं। कोचई लगभग एक से दो सप्ताह में बड़ जाता हैं उसके पत्ते निकलने लगते है कोचई को बड़ा हो जाने पर पौधा में समय-समय पर मिटटी चड़ाते रहाना चाहिए, जिससे वह अच्छे से बढ़ता है और उसका कन्द भी बड़ा होता हैं। कोचई जून- जुलाई में लगाया जाता है और नवम्बर- दिसम्बर में उसकी खुदाई की जाती है।

कोचई कांदा का उपयोग कैसे करें :-

कोचई कांदा का उपयोग बस्तर में अक्सर सब्जी के रूप में किया जाता है। कोचई के कन्द से लेकर उसकी पत्ती, सभी का उपयोग सब्जी के लिए किया जाता है। इसकी सब्जी जिमी कंद की तरह गले में खुजली करता है व बहुत कसैले होते है, इसलिए खट्टे भाजी के साथ इसकी सब्जी बनाई जाती है। इसके पत्ती की तने का सब्जी को पीखी साग कहा जाता है।

बस्तर में स्थानीय लोग इसे झींगा और सुक्सी के साथ सब्जी बनाकर खाना बहुत पसंद करते है, यह सब्ज़ी बड़ी स्वादिष्ट होती हैं। उड़द दाल को पीसकर कोचई के पत्ते में लपेट कर तेल में तलकर सब्जी बनाई जाती है। जिसे स्थानीय भाषा में सहिगोडा कहा जाता हैं। ऐसी ही जानकारी daily पाने के लिए हमारे Facebook Page को like करे इससे आप को हर ताजा अपडेट की जानकारी आप तक पहुँच जायेगी।

!! धन्यवाद !!

 

इन्हे भी एक बार जरूर पढ़े :-

Share:

Facebook
Twitter
WhatsApp

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Social Media

Most Popular

Categories

On Key

Related Posts

बेहद-अनोखा-है-बस्तर-दशहरा-की-डेरी-गड़ई-रस्म

बेहद अनोखा है? बस्तर दशहरा की ‘डेरी गड़ई’ रस्म

डेरी गड़ाई रस्म- बस्तर दशहरा में पाटजात्रा के बाद दुसरी सबसे महत्वपूर्ण रस्म होती है डेरी गड़ाई रस्म। पाठ-जात्रा से प्रारंभ हुई पर्व की दूसरी

बस्तर-का-प्रसिद्ध-लोकनृत्य-'डंडारी-नृत्य'-क्या-है-जानिए

बस्तर का प्रसिद्ध लोकनृत्य ‘डंडारी नृत्य’ क्या है? जानिए……!

डंडारी नृत्य-बस्तर के धुरवा जनजाति के द्वारा किये जाने वाला नृत्य है यह नृत्य त्यौहारों, बस्तर दशहरा एवं दंतेवाड़ा के फागुन मेले के अवसर पर

बस्तर-क्षेत्रों-का-परम्परागत-त्यौहार-नवाखाई-त्यौहार

बस्तर क्षेत्रों का परम्परागत त्यौहार नवाखाई त्यौहार

बस्तर के नवाखाई त्यौहार:- बस्तर का पहला पारम्परिक नवाखाई त्यौहार Nawakhai festival बस्तर Bastar में आदिवासियों के नए फसल का पहला त्यौहार होता है, जिसे

जानिए-बास्ता-को-बस्तर-की-प्रसिद्ध-सब्जी-क्यों-कहा-जाता-है

जानिए, बास्ता को बस्तर की प्रसिद्ध सब्जी क्यों कहा जाता है?

बस्तर अपनी अनूठी परंपरा के साथ साथ खान-पान के लिए भी जाना जाता है। बस्तर में जब सब्जियों की बात होती है तो पहले जंगलों

Scroll to Top
%d bloggers like this: