छत्तीसगढ़ के बस्तर में कई ऐसे अनछुए स्थान हैं जिनकी खोज अभी बाकी है और इन्हीं स्थानों में से एक है, समलूर शिव मंदिर Samlur shiv Temple जो कई कहानियों, रहस्यों और एक महान अतीत की भूमि है।
बारसूर Barsur के मामा-भांजा मंदिर की तर्ज पर समलूर Samlur में नागर शैली में निर्मित मंदिर 11 वीं. शताब्दी में तत्कालीन नागवंशी.. शासक सोमेश्वर देव की महारानी सोमलदेवी ने बनवाया था।
समलूर शिव मंदिर Samlur shiv Temple के विशाल शिवलिंग लगभग 2.25 फ़ीट हैं और लगभग 3 फ़ीट की परिधि है। इस मंदिर में निर्माण की तरह वर्ग का आभास देता है। गर्भगृह की छत लगभग 20 फीट से अधिक ऊंची है।
समलूर शिव मंदिर Samlur shiv Temple के आसपास के क्षेत्र बहुत महत्व रखता है, इसलिए विशिष्ट नक्काशीदार जलहरी वाले समलूर शिव मंदिर Samlur shiv Temple को देखने बड़ी संख्या में सैलानी व दर्शनार्थी पहुंचते हैं।
मंदिर में सावन सोमवार के अलावा महाशिवरात्रि, माघ पूर्णिमा जैसे खास अवसरों पर दर्शनार्थियों की कतार लगती है, महाशिवरात्रि पर मंदिर परिसर के बाहर मेला लगता है जंहा दर्शनार्थियों का बहुत अधिक संख्या में भिड़ लगा रहता रहता है।
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इस मंदिर की जलहरी व शिवङ्क्षलग बत्तीसा मंदिर की जलहरी से मिलती जुलती शैली में बनी है, वैदिक मान्यता के अनुसार, तालाब बनाने से मोक्ष होता है, इसलिए पुराने दिनों में लोग जल निकाय बनाने के बारे में जागरूक थे।
कहां और कैसे पहुंचें?
समलूर Samlur गाँव गिदम-बीजापुर मार्ग (पूर्व में NH-16) पर स्थित है। गिदम के बाद लगभग 9 कि0मी0, एक अनमैटल रोड (कच्ची सड़क) है जो 3 कि0मी0 बाद समलोर तक जाती है।
इस गाँव के पूर्व में एक बड़ा तालाब है, जिसके किनारे पर भगवान शिव का सुंदर प्राचीन मंदिर है। यह स्थान गिदम के बहुत समीप है। ऐसी ही जानकारी daily पाने के लिए हमारे Facebook Page को like करे इससे आप को हर ताजा अपडेट की जानकारी आप तक पहुँच जायेगी।
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