बस्तर की गोदना प्रथा की असली कहानी – Bastar Godna Tattooing

बस्तर-की-गोदना-प्रथा-Bastar-Godna-Tattooing

बस्तर Bastar में गोदना Godna यहाँ की आदिवासी एवं ग्रामीण संस्कृति का अंग है, बस्तर ग्रामीण अंचल में गोदना अधिक देखने को मिलता है, वैसे हिन्दू धर्म में लगभग सभी जातियों में गोदना प्रथा आदिकाल से प्रचलित है विश्व भर में इसे आदिवासी संस्कृति का अंग माना जाता है।

गोदना Godna शब्द का शाब्दिक अर्थ चुभाना है, सतह को बार बार छेदना, कई बार छिद्रित करना इस प्रकार यह शब्द उस क्रिया का प्रतिनिधित्व करता है, शरीर में सुई चुभोकर उसमें काले या नीले रंग का लेप लगाकर गोदना कलाकृति बनाई जाती है जिसे गोदना Godna और इसे अंग्रेजी में टैटू कहा जाता है इस कला को गोदना कला भी कहा जाता है।

शरीर में गुदवाने की यह प्रक्रिया काफी पीड़ादायक होती है पर बस्तर के सभी आदिवासी स्त्रियों में गोदना गुदवाने की प्रथा काफी प्रचलित हैं, पहले सुइयों से गुदना कराया जाता था, पर अब मशीनों से गुदना कराने का चलन बढ़ गया है।

यह भी पढें – यहां होती है भगवान शिव की स्त्री के रूप में पूजा

बस्तर में गोदना का काम ओझा जाति के लोग करते हैं, इन्हें नाग भी कहा जाता है यहा सबसे ज्यादा स्त्रियां एंव पुरुष थोड़ी मात्रा में गोदना करते है यहां बस्तर के मैदानी इलाके में बुंदकिया गोदना Godna अधिक लोकप्रिय प्रचलन में हैं।

गोदने का चिकित्सकीय उपयोग

  • गोदने का चिकित्सकीय उपयोग भी किया जाता है ऐसा माना जाता है की बच्चों के अपंग होने पर उनके हाथ-पैर पर किसी विशेष स्थान पर गोदना Godna कराये जाने पर वह अंग क्रियाशील हो जाता है।
  • महिलाओं के बच्चे न होने पर नाभि के नीचे गोदना गोदा कर उनकी कोख खुलवाई जाती है, इस प्रकार कई क्षेत्रों में ग्रामीण द्वारा कई मान्यताएं प्रचलन में हैं, इस सब के अतिरिक्त कई लोग अपने मित्र का, अपने इष्ट देवी देवता का नाम से भी गुदवाते हैं।

कैसे किया जाता है गोदना

गोदना Godna गोदते समय जड़ी-बूटी के पक्के रंगों का उपयोग किया जाता है, गोदना करने के लिए तीन या चार मोटाई की सुइयों को आपस में बाँध लिया जाता है और इकठ्ठा किये गए काजल के पावडर को पानी या मिटटी के तेल में घोल कर गाड़ा बना लिया जाता है।

बंधी हुई सुइयों को इस घोल में डुबाकर शरीर के उस अंग की त्वचा पर बार बार चुभाते हैं गुदारिन सुई चलाते समय बात करती रहती है ताकि गुदना गुदवाने वाली महिला का ध्यान दर्द से हट जाये।

यह भी पढें – बस्तर झिटकू-मिटकी की सुप्रसिद्ध प्रेमकथा

गोदने का काम अधिकत्तर शीत ऋतु में सुबह के समय में ही किया जाना उचित होता है गोदना Godna गुद जाने के बाद अंड़ी का तेल के साथ हल्दी का लेप गोदना Godna चिह्न पर लगाया जाता है, ग्रीष्म ऋतु में गोदना गुदवाना उचित नहीं होता है, क्योकि इस दौरान गोदना पकने का सबसे ज्यादा खतरा होता है।

बस्तर-की-गोदना-प्रथा-Bastar-Godna-Tattooing.

गोदना Godna गोदने के बाद करीब 07 दिन में गोदे हुए स्थान की त्वचा निकल आती है, और शरीर की सूजन कम हो जाता है, वैसे गोदना गुदवाने का काम साल भर चलता है।

गोदना Godna करने के लिए आज भी अधिकत्तर गावों में इसी पारम्परिक तकनीक का प्रयोग किया जाता है परन्तु आजकल गोदना करने की एक छोटी सी मशीन भी बाजार में आ गई है जिसे बस्तर के ग्रामीण मेला हाट बाजारों में मशीन से गोदने का काम किया जाता है जो बहुत लोकप्रिय हो गया है।

मशीन से गोदना करने पर बहुत कम समय लगता है और इससे ज्यादा दर्द नहीं होता है और आसान तरीके से गोदना Godna हो जाता है गोदना करने वाले अलग-अलग पैटर्न के प्रिंट अपने साथ रखते हैं।

जिन्हें देखकर ग्राहक आसानी से तय कर लेता है कौन सा गोदवाना है आजकल जो शरीर पर टैटू बनवाते हैं वह इस पारंपरिक कला का ही रूप है। उम्मीद करता हूँ यहं जानकारी आप को पसंद आई। हो सके तो अपने दोस्तो के साथ भी शेयर जरूर करे ऐसी ही जानकारी daily पाने के लिए हमारे Facebook Page को like करे इससे आप को हर ताजा अपडेट की जानकारी आप तक पहुँच जायेगी।

!! धन्यवाद !!

 

इन्हे भी एक बार जरूर पढ़े :-

Share:

Facebook
Twitter
WhatsApp

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

On Key

Related Posts

बस्तर-क्षेत्रों-का-परम्परागत-त्यौहार-नवाखाई-त्यौहार

बस्तर क्षेत्रों का परम्परागत त्यौहार नवाखाई त्यौहार

बस्तर के नवाखाई त्यौहार:- बस्तर का पहला पारम्परिक नवाखाई त्यौहार Nawakhai festival बस्तर Bastar में आदिवासियों के नए फसल का पहला त्यौहार होता है, जिसे

बेहद-अनोखा-है-बस्तर-दशहरा-की-डेरी-गड़ई-रस्म

बेहद अनोखा है? बस्तर दशहरा की ‘डेरी गड़ई’ रस्म

डेरी गड़ाई रस्म- बस्तर दशहरा में पाटजात्रा के बाद दुसरी सबसे महत्वपूर्ण रस्म होती है डेरी गड़ाई रस्म। पाठ-जात्रा से प्रारंभ हुई पर्व की दूसरी

बस्तर-का-प्रसिद्ध-लोकनृत्य-'डंडारी-नृत्य'-क्या-है-जानिए

बस्तर का प्रसिद्ध लोकनृत्य ‘डंडारी नृत्य’ क्या है? जानिए……!

डंडारी नृत्य-बस्तर के धुरवा जनजाति के द्वारा किये जाने वाला नृत्य है यह नृत्य त्यौहारों, बस्तर दशहरा एवं दंतेवाड़ा के फागुन मेले के अवसर पर

जानिए-बास्ता-को-बस्तर-की-प्रसिद्ध-सब्जी-क्यों-कहा-जाता-है

जानिए, बास्ता को बस्तर की प्रसिद्ध सब्जी क्यों कहा जाता है?

बस्तर अपनी अनूठी परंपरा के साथ साथ खान-पान के लिए भी जाना जाता है। बस्तर में जब सब्जियों की बात होती है तो पहले जंगलों

Scroll to Top
%d bloggers like this: