साल सरई sal sarai का वृक्ष छत्तीसगढ़ chhattisgarh का राजकीय वृक्ष है। बस्तर Bastar में साल के पेड़ sal tree को आदिवासियों का कल्प वृक्ष और बस्तर को साल वनों का द्वीप भी कहा जाता है साल का पेड़ sal tree बस्तर की आदिवासी संस्कृति का अहम हिस्सा है।
आदिवासी संस्कृति के बहुत से रीति रिवाज साल sal वृक्ष के बिना पुरे नहीं होते है साल को यहां सरई भी कहा जाता है यह आदिवासियों के लिए पूजनीय है, क्योंकि साल का पेड़ sal tree से आधा दर्जन से ज्यादा उत्पाद मिलते हैं।
शादी विवाह के मंडप हो या छठी का कार्यक्रम इसके लिये मंडप साल पेड़ sal tree के टालियों और पत्तों से ही बनाया जाता है, एक प्रकार से बहुत ही सदाबहार पेड़ होता है इसकी छांव में ही कार्यक्रम संपन्न किये जाते है।
आदिवासी संस्कृति में साल sal के पत्तों का प्रयोग बहुत ही शुभ माना जाता है, शादी ब्याह शोक सभी कार्यक्रमों मे दोना पत्तल के लिये साल के पत्तों का ही उपयोग किया जाता है।
घर में आए मेहमान को भोजन कराना हो या खुद पानी पीना हो, उसके लिये भी साल सरई के पत्ते से ही दोना पत्तल बनाकर उपयोग किया जाता है, बस्तर में साल sal के पौधें को तोड़ कर दातून के रूप में भी उपयोग किया जाता है।
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क्योंकि सरई sarai की दातून का उपयोग बस्तर में सभी करते हैं सप्ताहिक हाट-बाजार में दातून बेची जाती है ग्रामीण प्रतिदिन हजारों साल sal की शाखाओं को काटकर बेचने ले जाते हैं, पतली शाखाओं के कटने से पौधों का विकास नहीं हो पाता है।
साल सरई पेड़ का जीवनकाल
साल पेड़ sal tree आम तौर पर बहुत ही धीमी गति से बढ़ने वाला पेड़ है, इस पेड़ की औशत आयु आम तौर पर लगभग 20 से 40 वर्ष की होती है, परन्तु आज कल के इस दौर में इस साल पेड़ के लकड़ियों से बहुत सारे फर्नीचर बना रहे हैं।
जिसके कारण यह 15 से 25 वर्ष तक ही जीवित रह पाते हैं इसकी ऊँचाई लगभग 30 से 35 मिटर तक होती है, इस साल sal के पेड़ की सबसे खाश विशेषता यह पेड़ लगभग 8 से0मी0 से 508 से0मी0 वार्षिक वर्षा के साथ यह बहुत गर्म और ठंडे स्थानों में भी बहुत ही आसानी से बढ़ता है।
इस साल के पेड़ sal tree की पत्तियों की लंबाई लगभग 15 से 20 से0मी0 और चौडाई लगभग 10 से 15 से0मी0 होती है, जो एकदम गहरे हरे रंग में होते हैं, यह पत्तियाँ अप्रैल और मई माह में खिलते हैं और फरवरी और अप्रैल माह के बीच अधिकांश पत्तियां झड़ने लगते हैं।
साल पेड़ की लकड़ी
साल पेड़ sal tree की लकड़ी बहुत ही कठोर भारी होती है यह आम तौर पर भूरे रंग में ही होते हैं जो बहुत ही मजबूत होती हैं, इसके लकड़ी को भारत में मजबूती लकड़ी के नाम से दुसरे स्थान पर माना जाता है।
इस पेड़ की लकडी को इमारती लकडी के रूप में भी उपयोग किया जाता है, इससे बनायी गयी फर्नीचर काफी मजबूत होती है तथा यह कई सालों तक सुरक्षित रहते हैं। ऐसी ही जानकारी daily पाने के लिए हमारे Facebook Page को like करे इससे आप को हर ताजा अपडेट की जानकारी आप तक पहुँच जायेगी।
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