बस्तर Bastar आज भी अपनी गौरव गाथा आदिम संस्कृति के लिए विश्व में विख्यात है इसी मान्यता के चलते बस्तर में बहुत से जलीय जीवों को प्रमुखता से एवं बड़े शौक से खाया जाता है, इन जीवों में मछली, केकड़ा, झींगा आदि है। बस्तर के नदियों में पाये जाने वाले जलीय जीवों को खाने से शरीर रोगमुक्त रहता है।
मछली की कई प्रजातियां बस्तर के नदियों, तालाबों में पायी जाती है इनमें से एक मछली है जो, देखने में बिल्कुल सांप के जैसी डरावनी लगती है परन्तु रोगों के दवा के रूप में इस मछली को चाव से खाया जाता है, यह मछली है डुडूम मछली dudum fish, जिसे बस्तर के हाट बाजारों में बेचा जाता है।
डुडूम मछली dudum fish आकार में बिल्कुल सांप की तरह ही दिखाई देता है इसे पहली बार देखने से तो यह मछली कम सांप ज्यादा लगता है, स्थानीय स्तर पर इसे डुडूम मछली या कोचिया मछली के नाम से भी जाना जाता है, जिसे बस्तर के स्थानीय लोग हल्बी बोली में इसे कोचेला मछली तथा बस्तर की गोंडी बोली में डुडूम मछली dudum fish बस्तर के अबुझमाड़ माडि़या, मुरिया आदिवासी इसे बामी, बामे मछली कहते हैं।
यह भी पढें – बस्तर के डेंगुर फुटु मशरूम क्यों इतना प्रसिद्ध है?
डुडूम मछली की एक ब़डी वजह, इस मछली में अधिक ऊर्जा का होना माना जाता है। शाकाहारी भले ही इसे खराब मानते है पर डुडूम मछली dudum fish के शौकीनों के लिए इसे उ़डीसा Odisha से लाया बेचा जाता है, डुडूम मछली संजीवनी बूटी से कम नहीं माना जाता है।
बस्तर में इसे विभिन्न नाम से पुकारते हैं।
- डुडूम
- कोचेला
- कोचिया
- बामी
- बामे
इसे आप बस्तर के हाट बाजार में देख सकते हैं, आदिवासियों के लिए एक प्रकार का भोजन है इसके सेवन करने से मात्र शरीर को अतिरिक्त ताकत मिलती है, भीषण गर्मी में तालाबों या नदियों में पानी का स्तर कम होने के बाद डुडूम मछली dudum fish का शिकार आसान हो जाता है, बस्तर में छोटे-छोटे तालाबों की संख्या हजारों में है हर गांव में औसतन पांच से छ: तालाब होते ही हैं।
डूढूम मछली dudum fish देखने में सर्प जैसी यह मछली सर्प से सिर्फ थोड़ा सा ही अलग दिखता है इसके सिर के नीचे दो गलफ़डे होते हैं जब यह रेंग कर सर्प की तरह जमीन पर चलती है तो धोखा हो जाता है, कि यह मछली है या सर्प और इस मछली को बहुत ही पौष्टिक माना जाता है।
आम तौर पर यह मछली बस्तर के नदी नाला में कम एवं तालाबों में अधिक मात्रा में मिल जाता है जिसके कारण इसे पकड़ना आसान नही होता है तालाबों के अंदर दलदल बिलों में इनका निवास स्थान होता है सामान्य मछली के तरह यह भी एक मछली है।
यह भी पढें – बस्तर का बोड़ा सबसे महंगा क्यों है?
बस्तर के हाट बाजार में इसका सामान्य मूल्य एक नग लगभग 30 से 50 रूपय है। ग्रामीण डुडूम मछली dudum fish के सिर को अलग करके उसके खून को पुराने कच्चे चावलों में मिला कर सुखा देते हैं, फिर उसे थो़डी थो़डी मात्रा में कमजोर बच्चों व स्त्रियों को सेवन कराया जाता है।
डुडूम मछली की विशेषताएं
डुडूम मछली dudum fish की कई विशेषताएं हैं, यह जानकार बहुत लोगों को आश्चर्य होगा, कि यह पानी के बिना भी आराम से लगभग दो से तीन दिन तक गुजार सकती है, नदी नालों में रहने वाले डुढूम मछली अब विलुप्ति के कगार पर है, डुडूम मछली बरसात के दिनों में अपने खोह से निकलकर नदियों के खुले पानी में आ जाती है।
जिसके कारण उस समय इन मछलियों का अत्यधिक शिकार किया जाता है जिससे यह डुढूम मछली dudum fish अब बस्तर में दुर्लभ हो चुकी है, बस्तर के आदिवासी ये मानते हैं, कि इस मछली को खाने से शरीर में खून की वृद्वि होती है, एवं लकवा से ग्रसित व्यक्तियों के लिए यह लाभदायक औषधि के रूप में भी डुढूम मछली dudum fish को खाते हैं, यह मछली ईल मछली की एक प्रजाति है।
इसके औषधीय गुणों के कारण ग्रामीण इसे बड़े चाव से इसे खाते है, इसे खाने वालों का मानना है कि, यह मछली खाने से ह्दय रोग, टी0बी0 एंव अस्थमा जैसे रोगों का असर कम होता है, और इसके खुन का उपयोग कुछ लोग हाथ पैर में मालिश करने के लिये भी करते है।
इससे उनमें जीवन शक्ति का संचार होता है माना जाता है कि इस मछली का खून इंसानी खून से मिलता-जुलता है उम्मीद करता हूँ यहं जानकारी आप को पसंद आई। हो सके तो अपने दोस्तो के साथ भी शेयर जरूर करे। ऐसी ही जानकारी daily पाने के लिए हमारे Facebook Page को like करे इससे आप को हर ताजा अपडेट की जानकारी आप तक पहुँच जायेगी।
!! धन्यवाद !!
इन्हे भी एक बार जरूर पढ़े :-
बस्तर बियर सल्फी की कुछ खास बातें
लुप्त होता जा रहा है बस्तर का देसी थर्मस तुमा
बस्तर की एक महत्वपूर्ण भाजी