चरोटा भाजी औषधी गुणों का खजाना – charota bhaji

चरोटा-भाजी-औषधि-गुणों-का-खजाना-charota-bhaji

चरोटा भाजी charota bhaji के फायदे चरोटा भाजी स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद है | चरोटा भाजी एक अत्यंत ही प्रभावशाली औषिधीय पौधा है यह पौधा छत्तीसगढ़ बस्तर के घने जंगलो में अधिक मात्रा में पाया जाता है ग्रामीण अंचलों में चिरोटा की मुलायम पत्तियों का उपयोग भाजी के तौर पर किया जाता है।

यह भाजी अत्यधिक पौष्टिक होती है  चिरोटा का चक्र मर्द के नाम से जाना जाने वाला यह पौधा कहीं भी देखने को मिल जाता है खेत में जंगल में सड़क के किनारे या कहीं भी आता है इसे कई भाषाओं में अलग अलग नाम से जाना जाता है जैसे हिंदी में इसे पवार एंव हल्बी में चरोटा charota कहा जाता है।

इस पौधे में कई औषधीय गुण होते हैं जो अनेक बीमारियों का इलाज करने में पूर्ण रूप से सक्षम है लेकिन खेती करने वाले एक अर्थी उठा कर देते हैं इससे कई सारे हर्बल नुस्खे अपनाकर के अनेक रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है इसके बारे में विस्तार से जानते हैं चरोटा अक्सर बारिश के मौसम में आते हैं इसकी पत्तियां अठन्नी आकार की और 3 जोड़े में होती हैं और इस पर स्कूल और पतली फलियां भी लगती हैं पौधे की पत्तियों को तोड़कर सब्जी बनाकर ग्रहण करते हैं।

चरोटा भाजी charota bhaji भारत के अधिकांश प्रदेशो मे पाया जाता है । इसके पौधे बरसाती मौषम मे जंगलो और खाली मैदानो मे उगते है । यह पौधा बिलकुल मैथी के पौधे के समान होता है । चरोटा के पौधे पर पीले रंग के फूल लगते है ‘इसकी लंबी फलियॉ होती है जिनमे मैथी जैसे बीज निकलते है । चरोटा सीजल पीनेसी कुल का पौधा है । इसकी कलियाँ करीब 4 इंच लम्बी और पतली होती हैं |  प्रकृति का उपहार चरोटा भाजी के गुण प्रकृति देन आयुर्वेद सब्जी है जिसे हम खाने में उपयोग करते है. यह सिसलपिनेसी कुल का एक प्रकार का वर्षा ऋतु का खरपतवार  है, जिसे चकोड़ा, चकवत तथा चरोटा के नाम से जाना जाता है।

चरोटा भाजी charota bhaji जो खेत के मेडों में या खाली मैदानों में पाया जाता है इससे बहुत अच्छा सब्जी बनता है और बहुत ही टेस्टी होता है इसका जो स्वाद होता है थोड़ा-थोड़ा मुनगा भाजी के जैसा होता है लेकिन मुनगा भाजी से थोड़ा ज्यादा टेस्टी होता है क्योंकि मुनगा भाजी हल्का सा कसेला पन होता है और यह भाजी में बिल्कुल भी कोई कसेला पर नहीं होता है और लगभग दोनों का टेस्ट मिलता-जुलता है चरोटा भाजी के फायदे बहुत सारे हैं इसमें बहुत सारे पोषक तत्व होता है चरोटा भाजी को कई अलग अलग नामों से जाना जाता है इसे चक्रवर  भी बोला जाता है पवार भी बोला जाता है चरोटा भाजी पोषक तत्व से भरपूर है।

चरोटा के  पत्ती में औषधि गुण तो होता ही है और इसके बीजों में भी औषधि गुण पाया जाता है इसका जो फायदे हैं चरोटा की पहचान इन कलियो में से भूरे रंग के 2 छोटे मेथी के सामान दाने निकलते हैं | गुण, दोष और प्रभाव आयुर्वेदिक मत के अनुसार पँवार हल्का, स्वादिष्ट और वात व कफनाशक भी है |  चरोटा भाजी गर्म प्रकृति की होती है।

इस भाजी को  कम मात्रा में ही खाना चाहिए। चरोटा की पत्तियों और बीजों का उपयोग अनेक रोगों जैसे दाद-खाज, खुजली, कोढ, पेट में मरोड़ और दर्द आदि के निवारण के लिये किया जाता है।  इसके साथ ही साथ औषधीय चरोटा बीज/भाजी कहा जाता है. जिसे निश्चित समय में उपयोग करने से बीमारी भी दूर करने में सक्षम है. चरोटा बीज एंव भाजी को बाजारों में बेच कर आमदानी भी किया जाता है. चरोटा भाजी  में रेशा 15.26%, लिपिड 6.3 %,  प्रोटीन 5.57 %, आयरन  565  पीपीएम, कार्बोहायड्रेट 64.83 % तथा प्रति 100 ग्राम भाग में 363  किलो कैलोरी उर्जा  पाई जाती है।

चरोटा भाजी के स्वास्थ्य लाभ charota bhaji health benefit

चरोटा भाजी charota bhaji के स्वास्थ्य लाभ इसकी पत्तियों में बहुत अधिक पोषक तत्व होते हैं यही कारण है चरोटा के बीजों को पानी में पीसकर अगर दांत पर लगाया जाए तो वह ठीक हो जाता है इतना ही नहीं खाज खुजली होने पर भी इसका प्रयोग करने से काफी ज्यादा लाभ प्राप्त होता है।

यह भी पढें – बस्तर की एक महत्वपूर्ण भाजी  

खुजली होने पर भी चरोटा के बीज का प्रयोग करने से काफी ज्यादा लाभ प्राप्त होता है जिन बच्चों को कृमि की शिकायत रहती है उनके लिए 10 ग्राम चिरोटा के बीजों को एक कप पानी में मिलाकर उबालें इस कार्य को बच्चे को पिलाने से पेट के कृमि शोध के जरिए बाहर निकल जाते हैं पीलिया रोग हो जाने पर चिरोटा की 50 ग्राम पत्तियों को दो कप पानी में तब तक उबालें जब तक वह एक कप ना रह जाए इस कार्य को पीने से निश्चित ही आपको लाभ प्राप्त होगा।

चरोटा भाजी charota bhaji को कुछ जगह ग्रामीण क्षेत्र के लोग तो इसे टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने के लिए भी चिरोटा की पत्तियों का इस्तेमाल करते हैं इसका उपयोग करने के लिए इसका लेप बना लेते हैं और टूटी हुई हड्डी के स्थान पर लगाते हैं इतना ही नहीं इसे खेत के उपयोग के कार्यों में भी करते हैं इसे खाद के रूप में प्रयोग किया जाता है तो यह कार्य करती है यह बहुत ही उपयोगी है इसका इस्तेमाल करके बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं।

निष्कर्ष:-

चरोटा भाजी charota bhaji स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद है | इस पौधे में कई औषधीय गुण होते हैं जो अनेक बीमारियों का इलाज करने में पूर्ण रूप से सक्षम है उम्मीद करता हूँ जानकारी आप को पसंद आई है। हो सके तो दोस्तो के साथ शेयर भी जरूर करे। ऐसी ही जानकारी daily पाने  के लिए Facebook Page को like करे इससे आप को हर ताजा अपडेट की जानकारी आप तक पहुँच जायेगी।

!! धन्यवाद !!

Share:

Facebook
Twitter
WhatsApp

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

On Key

Related Posts

बस्तर-क्षेत्रों-का-परम्परागत-त्यौहार-नवाखाई-त्यौहार

बस्तर क्षेत्रों का परम्परागत त्यौहार नवाखाई त्यौहार

बस्तर के नवाखाई त्यौहार:- बस्तर का पहला पारम्परिक नवाखाई त्यौहार Nawakhai festival बस्तर Bastar में आदिवासियों के नए फसल का पहला त्यौहार होता है, जिसे

बेहद-अनोखा-है-बस्तर-दशहरा-की-डेरी-गड़ई-रस्म

बेहद अनोखा है? बस्तर दशहरा की ‘डेरी गड़ई’ रस्म

डेरी गड़ाई रस्म- बस्तर दशहरा में पाटजात्रा के बाद दुसरी सबसे महत्वपूर्ण रस्म होती है डेरी गड़ाई रस्म। पाठ-जात्रा से प्रारंभ हुई पर्व की दूसरी

बस्तर-का-प्रसिद्ध-लोकनृत्य-'डंडारी-नृत्य'-क्या-है-जानिए

बस्तर का प्रसिद्ध लोकनृत्य ‘डंडारी नृत्य’ क्या है? जानिए……!

डंडारी नृत्य-बस्तर के धुरवा जनजाति के द्वारा किये जाने वाला नृत्य है यह नृत्य त्यौहारों, बस्तर दशहरा एवं दंतेवाड़ा के फागुन मेले के अवसर पर

जानिए-बास्ता-को-बस्तर-की-प्रसिद्ध-सब्जी-क्यों-कहा-जाता-है

जानिए, बास्ता को बस्तर की प्रसिद्ध सब्जी क्यों कहा जाता है?

बस्तर अपनी अनूठी परंपरा के साथ साथ खान-पान के लिए भी जाना जाता है। बस्तर में जब सब्जियों की बात होती है तो पहले जंगलों

Scroll to Top
%d bloggers like this: