चापड़ा चटनी अगर आप भी है बिमारियों से परेशान तो मिनटों में – red ant chutney

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चापड़ा चटनी chapoda chutney red ant chutney bastar आपने आम, टमाटर इमली चटनी के बारें में अक्सर सुना देखा व खाया भी होगा पर बस्तर के इसी जंगलों में सरई कें पेडों में  एक विशेष प्रकार की चींटी भी पायी जाती है जिसकी चटनी बनाकर यहाँ के बस्तर के रहवासी बड़े चाव से खाते हैं जिसे चापड़ा चटनी chapoda chutney कहते है। 

छत्तीसगढ़ बस्तर bastar में लाल चींटियाँ red ant chutney bastar  ज्यादातर चटनी के रूप में उपयोग किया जाता है। लोग लाल चींटियों की चटनी को विभिन्न सामग्रियों जैसे नमक, लहसुन, अदरक, मिर्च आदि के साथ तैयार करते हैं।

इस चटनी को ‘चापड़ा चटनी chapoda chutney’ कहा जाता है। शब्द का अर्थ पत्ती की टोकरी है। इसका नाम चींटियों द्वारा साल के पेड़ के पत्तों से निकले घोंसलों के नाम पर रखा गया है। लाल चींटियों की चटनी में बहुत तीखा स्वाद होता है चींटियों में फार्मिक एसिड चटनी को खट्टा स्वाद बना देता है।

लाल चींटियों red ant की चटनी के कुछ स्वास्थ्य लाभ भी हैं। चींटियाँ प्रोटीन, जस्ता, कोबालमाइन, तांबा, पोटेशियम और कैल्शियम में समृद्ध हैं। यह हमारी प्रतिरक्षा को मजबूत बनाने में मदद करता है और हड्डियों के लिए अच्छा है। कोबालमाइन की कमी से मानव में घातक एनीमिया होता है। ये खाने की आदतें कुछ लोगों को असामान्य या अजीब लग सकती हैं लेकिन यह छत्तीसगढ़ बस्तर के लोगों के आहार का एक अभिन्न हिस्सा है।

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क्या आपने कभी खाई है चापड़ा chapoda यानी कि लाल चींटी red ant की चटनी हर जगह कि अपने खानपान की कुछ विशेषता होती है जिसके चलते किसी जगह विशेष खाई जाती है जिनकी दूसरी जगह कल्पना भी नहीं की जा सकती ऐसी चीज है चापड़ा यानी कि लाल चींटी की चटनी जो कि बस्तर bastar के घने जंगलों वाले आदिवासी इलाकों में खाई जाती है इन इलाकों में रहने वाले लोग पेड़ों पर रहने वाली लाल रंग चीटियों को इकट्ठा करके चटनी बनाते हैं जिसे स्थानीय भाषा में चापड़ा chapoda कहते हैं इसे हाट बाजार में बेचा जाता है।

चापड़ा चटनी  chapoda chutney

चापड़ा चटनी chapoda chutney  यहां एक चींटी जिसका रंग हल्का लाल होता है जिसे स्थानीय भाषा में हलिया, चापड़ा, चेपोड़ा या चपोड़ा कहा जाता है। यह चींटी मीठे सभी वृक्षों में पाई जाती है। वृक्ष के पत्तियों को अपने विशेष प्रकार के लार से जोडक़र अपना एक घोंसला बनाती है जिसे गुड़ा या चेपोड़ा चिपटा कहा जाता है।

ग्रामीण अपने अनुभव से इस गुड़ा के रंग के आधार पर सटीक अनुमान लगा लेते हैं कि अब चापड़ा खाने लायक हो चुका है । इसी चापड़ा या लाल चींटी से चापड़ा चटनी chapoda chutney बनाई जाती है।

ऐसे बनाई जाती है चापड़ा चटनी 

चापड़ा चटनी chapoda chutney  बनाने के लिए चापड़ा को उसके गुड़ा से निकाला जाता है इसके बाद उसे तेज धूप में किसी कपडे या  गमछा एंव सूपा घमेला को बिछा दिया जाता है जब यह धूप से गर्म हो जाता है तो चापड़ा गुड़ा वाली डगाल को काटकर कपडे या  गमछा एंव सूपा घमेला के उपर झड़ा दिया जाता है कुछ देर बाद लाल चींटीयां red ant मर जाती है फिर उन्हें घर ले जाकर अदरक, लहसुन, मिर्च, धनिया के साथ पत्थर के सिल से पीसकर चटनी बनाकर मडिय़ा पेज एंव खाना के साथ खाया जाता है ।

मलेरिया और पीलिया बीमारियों से आराम मिलने की दावा

ऐसा माना  जाता है कि चापड़ा यानी कि लाल चींटी red ant के काटने से कई बीमारियों में आराम मिलता है  इसके सेवन से मलेरिया और पीलिया जैसी बीमारियों से आराम मिलने का दावा करते है। और प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है जो बीमारियों से रक्षा करती है इसके काटने से मलेरिया जैसी बीमारियां ठीक हो जाती है ऐसी मान्यता है कि साधारण बुखार होने पर पेड़ के नीचे बैठकर चापड़ा से कटवाने से बुखार तुरन्त ठिक हो जाता है।

स्वास्थ्य के लिए लाभदायक चापड़ा चटनी  

चापड़ा chapoda लाल चींटियों red ant  के पास जाना, स्वस्थ मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के लिए सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों में से एक है, जो इन लाल चींटियों में पाया जाता है, जो कि विटामिन बी -12 है। जैसा कि बहुत से लोग जानते होंगे कि हाल के दिनों में, भारत में कम से कम, ऐसे कई लोग हैं जो अब विटामिन बी 12 की कमी से पीड़ित हैं, जिससे थकान, अवसाद और खराब स्मृति जैसी समस्याएं पैदा हो रही हैं।

इसके विपरीत भारत के स्वदेशी लोग कम थके हुए होते हैं, अधिक खुश होते हैं और एक तेज याददाश्त रखते हैं, यह देखते हुए कि वे चीजों को याद रखने के लिए लिखित नोट्स नहीं बनाते हैं। लाल चींटी की चटनी आंखों और दिल के लिए बहुत अच्छी है। 

लाल चींटियों red ant के पास जाने से बुखार उतारने के लिए चींटी से कटवाना सही तरीका नही है पर इसमें फार्मिक एसिड के साथ ही प्रोटीन कैल्सियम विटामिन आदि पाए जाते हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होने के साथ प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत कर रोगों से बचाव करने में मददगार है।

निष्कर्ष :-

दोस्तों जब आप आगे छत्तीसगढ़ बस्तर bastar  का दौरा करेंगे तो आप इस चापड़ा चटनी chapoda chutney लाल चींटियों red ant chutney bastar की चटनी जरूर टेस्ट करना।  उम्मीद करता हूँ जानकारी आप को पसंद आई है। हो सके तो दोस्तो के साथ शेयर भी जरूर करे। ऐसी ही जानकारी daily पाने  के लिए Facebook Page को like करे इससे आप को हर ताजा अपडेट की जानकारी आप तक पहुँच जायेगी।

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