अधिक पैदावार के लिए मक्का की खेती कैसे करे – How to cultivate maize

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अधिक पैदावार के लिए मक्का की खेती कैसे करे –  How to cultivate maizeमक्का (Maize) विश्व में उगाई जाने वाली फसल है| मक्का (Maize) को खरीफ की फसल कहा जाता है, इसके गुणकारी होने के कारण पहले की  तुलना में आज के समय इसका उपयोग मानव आहर के रूप में ज्यादा होता है लेकिन बहुत से क्षेत्रों में इसको रवि के समय भी उगाया जाता है।

इसके गुण इस प्रकार है, कार्बोहाइड्रेट 70, प्रोटीन 10 और तेल 4 प्रतिशत पाया जाता है ये सब तत्व मानव शरीर के लिए बहुत ही आवश्यक है| साथ ही साथ यह पशुओं का भी प्रमुख आहर है।

मक्का के लिए उपयुक्त भूमि

मक्का के लिए उपयुक्त भूमि मक्का की खेती सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती है परंतु मक्का की अच्छी उत्पादकता के लिए दोमट एवं मध्यम से भारी मिट्टी जिसमें पर्याप्त मात्रा में जीवांश और उचित जल निकास का प्रबंध हो, उपयुक्त रहती है | लवणीय तथा क्षारीय भूमियां मक्का की खेती के लिए उपयुक्त नहीं रहती ।

भूमि की तैयारी

भूमि की तैयारी पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें| उसके बाद 2 से 3 जुलाई हैरो या देसी हल से करें, मिट्टी के ढेले तोड़ने एवं खेत सीधा करने हेतु हर जुताई के बाद पाटा या सुहागा लगाएँ यदि मिट्टी में नमी कम हो तो पलेवा करके जुताई करनी चाहिए| सिंचित अवस्था में 60 सेंटीमीटर की दूरी पर मेड़े बनानी चाहिए जिससे जल निकासी में आसानी रहती है और फसल भी अच्छी बढ़ती है।

मक्का के लिए जलवायु

मक्का के लिए जलवायु मक्का की खेती विभिन्न प्रकार की जलवायु में की जा सकती है, परन्तु उष्ण क्षेत्रों में मक्का की वृद्धि, विकास एवं उपज अधिक पाई जाती है| यह गर्म ऋतु की फसल है| इसके जमाव के लिए रात और दिन का तापमान ज्यादा होना चाहिए।

मक्के की फसल को शुरुआत के दिनों से भूमि में पर्याप्त नमी की आवश्यकता होती है| जमाव के लिए 18 से 23 डिग्री सेल्सियस तापमान एवं वृद्धि व विकास अवस्था में 28 डिग्री सेल्सियस तापमान उत्तम माना गया है।

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बीज की मात्रा

बीज की मात्रा प्रजाति एवं उपयोग के आधार पर 15-18 कि0ग्रा0 बीज प्रति है 0 या 300-350 ग्राम प्रति नाली, संकर मक्का के लिए 20-25 कि0ग्रा0 प्रति है0 या 400-500 ग्राम/नाली, पॉपकार्न के लिए 12-14 कि0ग्रा0 प्रति है0 या 240-280 ग्राम तथा बेवीकार्न के लिए 40-45 कि0ग्रा0 प्रति है0 या 800-900 ग्राम प्रति नाली बीज की आवश्यकता पडती है। हरे चारे हेतु 40-45 कि0ग्रा0 बीज प्रति है0 की दर से बोना चाहिए।

बोआई की विधि

  • मक्का को उचित समय पर बोना चाहिए (सारणी-2)। बुवाई सदैव लाइनों में करनी चाहिए और लाइन से लाइन की दूरी 60 से0मी0 तथा पौधे से पौधे के बीच की दूरी 25-30 से0मी0 रखनी चाहिए इसके लिए सीडड्रिल या हल के पीछे बनी लाइनों या चोगा विधि द्वारा बुवाई की जा सकती है। सामान्यतया प्रति है0 पौधों की संख्या 65000 से 75000 होनी चाहिए।
  • बेवीकार्न के लिए पौधों की संख्या 1.11 से 1.66 लाख प्रति है0 रखना लाभदायक रहेगा। बेवीकार्न के लिए 50 से0मी0 पर बनी लाइनों में पौधे से पौधे की दूरी 15 से0मी0 रखी जाती है। मक्का के बीज को 3.5-5.0 से0मी0 की गहराई पर बोना चाहिए। यदि जमाव कम हुआ है, तब अंकुरण के तुरन्त बाद उपचारित बीज को खाली जगह पर बो देना चाहिए।
  • यदि पौधों की संख्या अधिक है, तब अंकुरण के 15-20 दिन बाद घने पौधों को उखाड देना चाहिए। मक्का को अमूमन, मानसून आने पर बोया जाता है। मक्का के बोने का उचित समय किस्म एवं स्थान विशेष के अनुसार अलग-अलग है |

मक्का की बुआई

मक्का की बुआई मक्का की खेती उचित मृदा प्रबंध द्वारा अनेक प्रकार की भूमियों में की जा सकती है किन्तु अच्छी पैदावार के लिए उचित जल निकास एवं वायु संचार युक्त उपजाऊ मिट्टी अच्छी समझी जाती है। मृदा का पी0एच0 मान 6 से 7 मक्का की खेती के लिए अच्छा माना जाता है।

मक्का की अच्छी पैदावार के लिए अच्छी धूप की आवश्यकता होती है और बोने के समय वायु मण्डल का तापमान 18-200 से 0 होना चाहिए। यदि तापमान 9-100 से 0 कम है तो अंकुरण् अच्छा नहीं होता है। मक्का की बढवार के समय तापमान 25-300 से 0 अच्छा समझा जाता है।

पकते समय गर्म एवं शुष्क वातावरण ठीक होता है। पाला फसल के लिए हर अवस्था पर हानिकारक होता है फसल पूर्णतया नष्ट हो जाता है। मक्का को 3000 मीटर ऊंचाई तक उगाया जा सकता है। मक्का खरीफ मौसम में उगाई जाती है वर्षा से इसकी जल आवश्यकता की पूर्ति होती रहती है।

जिन क्षेत्रों में वर्षा 15-50 से 0 मी 0 तक होती है वहॉ भी मक्का को बिना पानी के सफलता पूर्वक उगाया जाता है सामान्यत 50-80 से0मी0 वर्षा मक्का की उचित खेती के लिए आवश्यक है।

बीज एवं बुआई

बीज एवं बुआई बीज शोधन बुवाई से पहले बीज को थायरम या कैप्टान की 4.0 ग्राम दवा से प्रति कि0ग्रा0 बीज की दर से उपचारित करें जिससे बीज सडन और पौध अंगमारी, पत्ती अंगमारी तना सडन, शीर्ष कंड आदि बीमारियों से फसल का बचाव हो जाता है।

जिन क्षेत्रों में भूरा धारीदार मृदुरोमिल आसिता का प्रकोप अधिक होता है, वहॉ बीज को एप्रान 35 डब्ल्यू0एस0 की 3.5 ग्राम दवा से प्रति कि0ग्रा0 बीज की दर से उपचारित करके बोने पर इस बीमारी से फसल का बचाव किया जा सकता है। 

बोआई की विधि

मक्का को उचित समय पर बोना चाहिए (सारणी-2)। बुवाई सदैव लाइनों में करनी चाहिए और लाइन से लाइन की दूरी 60 से0मी0 तथा पौधे से पौधे के बीच की दूरी 25-30 से0मी0 रखनी चाहिए इसके लिए सीडड्रिल या हल के पीछे बनी लाइनों या चोगा विधि द्वारा बुवाई की जा सकती है। सामान्यतया प्रति है0 पौधों की संख्या 65000 से 75000 होनी चाहिए।

बेवीकार्न के लिए पौधों की संख्या 1.11 से 1.66 लाख प्रति है0 रखना लाभदायक रहेगा। बेवीकार्न के लिए 50 से0मी0 पर बनी लाइनों में पौधे से पौधे की दूरी 15 से0मी0 रखी जाती है। मक्का के बीज को 3.5-5.0 से0मी0 की गहराई पर बोना चाहिए। यदि जमाव कम हुआ है, तब अंकुरण के तुरन्त बाद उपचारित बीज को खाली जगह पर बो देना चाहिए।

यदि पौधों की संख्या अधिक है, तब अंकुरण के 15-20 दिन बाद घने पौधों को उखाड देना चाहिए। मक्का को अमूमन, मानसून आने पर बोया जाता है। मक्का के बोने का उचित समय किस्म एवं स्थान विशेष के अनुसार अलग-अलग है उम्मीद करता हूँ जानकारी आप को पसंद आई है। हो सके तो दोस्तो के साथ शेयर भी जरूर करे। ऐसी ही जानकारी daily पाने  के लिए Facebook Page को like करे इससे आप को हर ताजा अपडेट की जानकारी आप तक पहुँच जायेगी  |
 
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